लेखनी कहानी -15-Mar-2024
हाथों से करके पर्दा निगाहों पर। अदा से तुम शर्मा रही हो।। छुपाकर चेहरा तुम चिलमन से। हाल दिल का बता रही हो।। हाथों से करके------------------।।
एक पल को हमसे नजरें मिलाकर। मुस्कराती हो तुम, आँचल उड़ाकर।। देखती हो हमको तुम, चिलमन से। मस्ती में जुल्फें अपनी लहरा रही हो।। हाथों से करके------------------।।
फूलों सा महका हुआ, तेरा बदन है। शीशे की तरहां पवित्र, तेरा मन है।। गजगामिनी सी इस चाल से तुम। मदहोश हमको कर रही हो।। हाथों से करके------------------।।
रोशनी बिखेरता है रूप तुम्हारा। कमल सा खिलता है चेहरा तुम्हारा।। उड़ाकर दुपट्टा हमें देख करके। आवाज दिल को तुम दे रही हो।। हाथों से करके------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)